05 Dec 2025
ब्रुनेल यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर हरजीत सिंह ने एसवीएसयू में दिया व्याख्यान
लंदन की ब्रुनेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हरजीत सिंह ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में सस्टेनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजी पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध के बहुत बड़े अवसर हैं। भारत इस क्षेत्र में अन्य देशों के साथ मिल कर बड़ी भूमिका निभा सकता है। भविष्य के लिए सस्टेनेबल एनर्जी और उसे विकसित करने की टेक्नोलॉजी बहुत आवश्यक है। प्रोफेसर हरजीत सिंह ने अपने 26 मिलियन पाउंड से ज्यादा की फंडिंग वाले अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स का अनुभव भी साझा किया। उन्होंने विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षकों से सस्टेनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध करने का आह्वान किया। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने लंदन से आए प्रोफेसर हरजीत सिंह का जोरदार स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर हरजीत सिंह का आगमन और विद्यार्थियों के साथ उनका संवाद हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। कुलगुरु प्रोफ़ेसर दिनेश कुमार ने कहा कि प्रोफ़ेसर हरजीत सिंह के व्याख्यान से मिली प्रेरणा विद्यार्थियों ही नहीं शिक्षकों के लिए भी ऊर्जा का काम करेगी। कुलगुरु प्रोफ़ेसर दिनेश कुमार ने प्रोफ़ेसर हरजीत सिंह को सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस का अवलोकन भी करवाया। अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर विक्रम सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रोफेसर हरजीत सिंह के व्याख्यान से सस्टेनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन तो होगा ही उनकी इस क्षेत्र में रुचि भी बढ़ेगी। स्किल फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सोलर टेक्नोलॉजी, आरएसी और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के बड़ी संख्या छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे। इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर सुरेश कुमार, ग्रीन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन प्रोफेसर सुनील गर्ग, स्किल डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑटोमेटिव स्टडीज के चेयरपर्सन डॉ. संजय सिंह राठौर, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के निदेशक डॉ. मनी कंवर सिंह समेत कई वरिष्ठ शिक्षक भी उपस्थित थे। एसएफईटी के डीन प्रोफ़ेसर आशीष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ. प्रीति ने मंच संचालन किया।
Read More +

Prof. Dinesh Kumar











